कुँड़ुख़ भाषा की लिपि " कुँड़ुख़ बन्ना " - कुडुख ओराओं आदिवासियों की भाषा और लिपि : Kundukh Banna - Language and Script of Kudukh Oraon Tribals

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कुँड़ुख़ भाषा की लिपि " कुँड़ुख़ बन्ना "

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Roshan Toppo

कुरुख बन्ना लिपि की बात करते समय, मेरे दिल में इसके प्रति एक अलग सा आदर और प्यार है। यह लिपि न केवल एक भाषा को व्यक्त करने का माध्यम है, बल्कि इसमें उस भाषा की गहराई, संवेदनाओं, और भावनाओं को भी दर्शाता है। इस लिपि के हर अक्षर में वह मेहनत और समर्पण होता है, जो कुरुख भाषा को एक नया जीवन देता है। जब मैं कुरुख बन्ना लिपि की सुंदरता और संवेदनशीलता के बारे में सोचता हूँ, मेरे दिल को एक अलग ही सुकून मिलता है। इस लिपि के माध्यम से कुरुख भाषा के शब्दों को लिखना, वोह एक संवाद का माध्यम बन जाता है जो दिलों को छू लेता है। इसकी हर कलम हर कदम भाषा की गहराई और संस्कृति को नया जीवन देती है।।

चलीये हम आपको इसके बारे में बताते हैं , उमीद कर रहे हैं आपको यह जानकारी अच्छा लगेगा ।

कुँड़ुख़ भाषा के बारे दो बात

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🔯 कुँड़ुख़ या 'कुरुख' एक भाषा है जो भारत, नेपाल, भूटान तथा बांग्लादेश में बोली जाती है।
🔯भारत में यह बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओड़िशा , झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के उराँव जनजातियों द्वारा बोली जाती है। यह द्रविण परिवार से संबन्धित है। इसको 'उराँव भाषा' भी कहते हैं।
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🔯कुरुख एक उत्तरी द्रविड़ भाषा है जो लगभग 2 मिलियन लोगों द्वारा बोली जाती है, मुख्य रूप से उत्तरी भारत में, और उत्तरी बांग्लादेश, पूर्वी नेपाल और दक्षिणी भूटान में भी। अधिकांश कुरुख भाषी ओरांव जनजाति का हिस्सा हैं। किसान जनजाति के सदस्य भी इसे बोलते हैं।
🔯 प्रत्येक जनजाति की अपनी-अपनी बोली होती है, जिन्हें उराँव और किसान के नाम से जाना जाता है। इस भाषा को कुरक्स, कदुकली, कुरका, कुरुख, उरांग, उराँव या ओराओन के नाम से भी जाना जाता है।
🔯 भारत में कुरुख बोलने वालों की संख्या लगभग 1.9 मिलियन है, विशेष रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ और सरगुजा जिलों में, झारखंड राज्य के रांची जिले में, ओडिशा राज्य के झारसुगुड़ा और सुंदरगढ़ जिलों में, और पश्चिम बंगाल राज्य के जलपाईगिरी जिले में।
🔯 यह असम, बिहार और त्रिपुरा राज्यों में भी बोली जाती है।

कुँड़ुख़ भाषा के लिए 'कुरुख बन्ना' लिपि का परिचय

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🔯 कुँड़ुख़ भाषा को आसानी से लिखने के लिए 1990 के दशक के दौरान झारखण्ड ओडिशा में 'बसुदेव राम खलखो' द्वारा 'कुँड़ुख़ बन्ना' लिपि का आविष्कार किया गया था। कुँड़ुख़ भाषा उराँव जनजातीय समुदाय द्वारा व्यापक रूप से बोली जाती है, मुख्यतः भारत में ही नहीं बल्कि बांग्लादेश और भूटान में भी।
🔯भवर्तमान में इस लिपि का प्रयोग उड़ीसा राज्य में उराँव लोगों द्वारा किया जा रहा है। छत्तीसगढ़, बंगाल, झारखंड और असम जैसे कम ओरांव लोगों वाले राज्यों में, कुछ लोगों ने इस लिपि का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करना शुरू कर दिया है।
🔯ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में, 'कुरुख बन्ना' लिपि को 'कुरुख पढ़हा' द्वारा पढ़ाया और प्रचारित किया जा रहा है, जो ओडिशा में ओरांव आदिवासी समुदाय की एक पारंपरिक और प्रथागत संस्था है। इसमें मदद के लिए 'कुरुख बन्ना' लिपि के लिए एक फ़ॉन्ट विकसित किया गया है। तब से समुदाय ने पुस्तकों, पत्रिकाओं, विवाह कार्डों आदि के प्रकाशन में इसका व्यापक रूप से उपयोग करना शुरू कर दिया है।
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🔯 कंप्यूटर फ़ॉन्ट बनने से पहले, ओडिशा के सुंदरगढ़ के ग्रामीण अपनी जनजातीय कला के हिस्से के रूप में दीवार पेंटिंग पर इस लिपि के अक्षरों का उपयोग कर रहे थे। तब से 20 साल बीत चुके हैं, और अब 'कुरुख बन्ना' लिपि का उपयोग और अभ्यास भारत के 7 से अधिक राज्यों में किया जाता है।

कुँड़ुख़ बन्ना लिपि डिज़ाइन

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🔯 बासुदेव राम खलखो ने 'कुँड़ुख़ बन्ना' लिपियों के 350 से अधिक विभिन्न डिज़ाइन बनाए हैं जिन्हें अब फ़ॉन्ट का उपयोग करके दर्शाया जा सकता है, जो भारत में ओरांव लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहा है। हालाँकि अभी भी अवसर की कमी है क्योंकि समुदाय स्क्रिप्ट को यूनिकोड में जोड़ने का मार्ग खोजने में असमर्थ है।
🔯 इस फॉन्ट डिज़ाइन में, कुँड़ुख़ बन्ना लिपि के अक्षरों का सही रूप, उनका साइज़, स्पेसिंग, और उनकी स्टाइलिस्टिक फीचर्स को ध्यान में रखा जाता है ताकि कुँड़ुख़ भाषा को सही तरीके से दर्शाया जा सके और लोगों द्वारा पढ़ा और लिखा जा सके।
🔯कुँड़ुख़ बन्ना लिपि के फ़ॉन्ट डिज़ाइन में व्यक्तिगत रचनात्मकता और भाषा के व्यावसायिक उपयोग के साथ-साथ, डिजिटल माध्यम पर सही रूप से प्रस्तुत करने की क्षमता भी होती है। यह डिज़ाइन भाषा के महत्व को सही ढंग से प्रदर्शित करता है और उसकी पहुंच को भी बढ़ाता है।
🔯 फ़ॉन्ट डिज़ाइनर्स कुँड़ुख़ बन्ना लिपि के फ़ॉन्ट डिज़ाइन में भाषा के नियम और उसकी एस्थेटिक्स को ध्यान में रखते हैं ताकि लोगों को सही तरीके से पढ़ने और समझने में आसानी हो।

कुँड़ुख़ बन्ना लिपि का नामकरण

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🔯 कुँड़ुख बन्ना नामकरण के पीछे भी बहुत बड़ा कहानी है । बन्ना का का अर्थ कुंडुख भाषा में पारंपारिक सांस्कृतिक आकृतियों या चित्रों को बन्ना कहते हैं ।
🔯कुँड़ुख आदिवासी समाज के लोग विभिन्न प्रकार की चित्र , आकृतियां जो अपनी दैनिक जीवन में व्यवहार में लाते हैं । जैसे:- घरों के दीवारों पर अनेक प्रकार की अकृतियाँ , खेत-खलिहानों में तथा मिट्टी एंव धातु के बर्तनों में अनेक प्रकार की परम्पारिक चित्र अथवा रेखाएं बनाते हैं उन अकृतियों को कुँड़ुख भाषा से बन्ना कहते ।

फॉण्ट का नाम कुँड़ुख़ आदिवासियों के गोत्र के आधार पर रखा गया है

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🔯 कुँड़ुख बन्ना का कंप्यूटर वर्जन अर्थात कंप्यूटर के लिए (सॉफ्टवेयर) फॉन्ट का नाम को कुँड़ुख समुदाय के 67 प्रकार की जो गोत्र अथवा टाइटल होता है उन सभी टाइटलों के नाम को रखा गया है इसके बाद क्रमांक संख्या के अनुसार 283 नाम रखा गया है।
🔯आदिवासी समाज की रूढ़ी, पारम्पारिक , सांस्कृतिक एवं धार्मिक, अनुष्ठान डंडा कट्टना ( पालकासना ) या बेलवाफारी के शुभ चिन्ह की अकृतियों से ही कुँड़ुख बन्ना लिपि के अक्षर का बनावट को बनाया गया है, जिसके कारण कुँड़ुख (आदिवासी) समुदाय का पारंपरिक , सांस्कृतिक मान्यताओं को पूरा करते हुए वैज्ञानिक युग की तकनीकी क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी हो गई ।

लिपि की बनावट को बहुत ही सुंदर से पेश किया गया है

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कुँड़ुख बन्ना लिपि दिखने में अति सुंदर होते हुए लिखने में भी सुविधा जनक है । यह सहज ग्राहृय है । इसे कम जगह में लिखा जा सकता है। बड़ा अक्षर के साथ-साथ छोटा अक्षर भी बनाया गया है । छोटा अक्षर को CURSIVE LETTER भी कह सकते हैं ।
इसको हाथ से रफ्तार में लिखने के लिए विकसित किया गया है। चाहे तो बड़ा अक्षर से भी हाथ से कम समय में लिखा जा सकता है । यह लिपि कुँड़ुख भाषा को विश्व में एक अलग पहचान दिलाने में सक्षम है।
कुँड़ुख बन्ना लिपि को पारंम्परिक ढंग से कुँड़ुख समाज के अंदर, कुँड़ुख पड़हा व्यावस्था, और परम्पारिक जोंख एड़पा, अरा पेल्लो एड़पा, कुँड़ुख भाषा सहित्य विकास परिषद झारखंड,ओडिशा,मध्यप्रदेश, पश्चिम बंग,और ऑल इंडिया कुँड़ुख पड़हा युवक संघ के तरफ से प्रचार प्रसार किया जा रहा है ।

KURUKH MEDIUM SCHOOL

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कुरुख बन्ना लिपि, एक विशेष रूप से कुरुख भाषा के लिए बनाई गई एक अहम लिपि है। इस लिपि की विशेषताओं को समझने के बाद, स्पष्ट होता है कि कुरुख बन्ना लिपि का एक महत्वपूर्ण इतिहास है जो भाषा, संस्कृति और लोकप्रियता से जुड़ा है। इस लिपि का विकास भाषा के व्यापक उपयोग और लोकप्रियता के कारण हुआ है। कुरुख बन्ना लिपि अक्षरों, मात्राओं, और व्याकरणिक नियमों का एक सुंदर मिश्रण है, जो कुरुख भाषा को लिखने और पढ़ने के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया है। इस लिपि की बनावट में अक्षरों का सरल और संपूर्ण सही रूप है, जो व्यक्ति को शब्दों को पढ़ने और समझने में सहायता करता है। इस लिपि में अक्षरों की अनूठी शैली और उनका इंटरकनेक्शन भी इसकी विशेषताओं में शामिल है। कुरुख बन्ना लिपि के प्रचार-प्रसार से कुरुख भाषा की पहचान और उसकी समृद्धि को बढ़ाया गया है। यह लिपि भाषा के महत्व और उसके लोकप्रिय होने का प्रमाण है। समाप्त में, कुरुख बन्ना लिपि एक अनमोल धरोहर है जो कुरुख भाषा और उसकी विरासत को जीवित रखती है। इस लिपि का महत्व उसके व्यावसायिक और सांस्कृतिक उपयोग में है और उसका सम्मान किया जाना चाहिए, ताकि यह भाषा और उसकी लिपि की उन्नति और प्रगति को और भी बढ़ावा दिया जा सके।

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