ओराओं (कुडुख) आदिवासी और सओंसर शब्द का गलत अर्थ
ओराओं आदिवासी समाज भारत के प्राचीन और समृद्ध समुदायों में से एक है। इसकी संस्कृति, परंपरा और धर्म अद्वितीय हैं और हजारों वर्षों से इस समुदाय की पहचान को संजोए हुए हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश, कई बाहरी समुदायों और यहां तक कि कुछ धर्मांतरित आदिवासियों द्वारा ओराओं समाज के मूलधर्मी लोगों को " सओंसर (Saonsar)" कहकर पुकारा जाता है। उनके अनुसार, इस शब्द का अर्थ "बेधर्मी" या "अधार्मिक" होता है, जो पूरी तरह से गलत और भ्रामक धारणा है।
' सओंसर ' शब्द की उत्पत्ति और गलतफहमी :
ओराओं आदिवासी धर्म, जिसे 'अद्दी धर्म' (Addi Dharam) भी कहा जाता है, प्रकृति-पूजक धर्म है। इस धर्म में जल, जंगल, जमीन और सूर्य, चंद्रमा, पहाड़ों की पूजा की जाती है। यह ओराओं समाज के लिए सिर्फ एक धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि उनकी आत्मा और पहचान का एक अभिन्न हिस्सा है।
समस्या तब उत्पन्न हुई जब ईसाई मिशनरियों और धर्मांतरित आदिवासियों ने अपने समुदाय के लोगों को "सओंसर" कहना शुरू किया। उनके अनुसार, जो लोग ईसाई धर्म नहीं अपनाते, वे "बेधर्मी" हैं, जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है।
"सओंसर" शब्द की कोई ऐतिहासिक या धार्मिक प्रमाणिकता नहीं है। यह शब्द पूरी तरह से एक पूर्वाग्रह और धार्मिक ध्रुवीकरण का परिणाम है, जिसे आदिवासी समाज में विभाजन पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया गया।
ओराओं समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान :
ओराओं समुदाय की धार्मिक मान्यताएँ और परंपराएँ किसी भी अन्य धर्म से कम महत्वपूर्ण नहीं हैं। वे प्रकृति उपासक हैं और उनकी मान्यताओं का आधार सरना स्थल, ग्राम देवता, पूर्वजों की पूजा और सामूहिक अनुष्ठान होते हैं।
ओराओं समाज की प्रमुख विशेषताएँ:
1. प्रकृति पूजा: जल, जंगल, पहाड़, सूर्य और चंद्रमा की पूजा की जाती है।
2. सरना स्थल: यह अद्दी धर्म का पवित्र स्थान है, जहां धार्मिक अनुष्ठान और पूजा होती है।
3. पारंपरिक पर्व और त्योहार: करम, सरहुल, फागुन, सोहराई आदि प्रमुख त्यौहार हैं।
4. सामुदायिक जीवनशैली: ओराओं समाज सामूहिकता और एकजुटता को प्राथमिकता देता है।
5. कुड़ुख भाषा: ओराओं समुदाय की मौलिक भाषा, जिसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।
धार्मिक पहचान को कमजोर करने की कोशिश :
एक चिंताजनक बात यह है कि ओराओं समाज के ही कुछ लोग, जो धर्मांतरित हो चुके हैं, अपने मूल समुदाय को कमजोर करने का प्रयास करते हैं। वे अपने ही भाइयों और बहनों को "Saonsar" कहकर संबोधित करते हैं, जिससे उनकी पहचान को कमजोर करने की कोशिश की जाती है।
यह न केवल ओराओं समाज की एकता को तोड़ने का प्रयास है, बल्कि उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को भी धूमिल करता है। धर्म परिवर्तन करना हर व्यक्ति का निजी निर्णय हो सकता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि जो अपने मूल धर्म पर अडिग हैं, उन्हें "बेदर्मी" कहकर नीचा दिखाया जाए।
महत्वपूर्ण प्रश्न उठाना ज़रूरी है
अब समय आ गया है कि ओराओं समाज इस विषय पर खुलकर चर्चा करे और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मांगे:
1. जो हमें 'Saonsar' कहते हैं, वे खुद किस आधार पर हमें बेधर्मी साबित कर रहे हैं?2. अगर हमारा धर्म हजारों वर्षों से अस्तित्व में है, तो क्या यह वास्तव में कोई धर्म नहीं है?3. क्या एक समुदाय, जो प्रकृति पूजक है और अपनी संस्कृति को संजोकर रखता है, अधार्मिक हो सकता है?4. जो लोग अपने मूल धर्म को छोड़ चुके हैं, उन्हें क्या यह अधिकार है कि वे हमें हमारे ही धर्म में नीचा दिखाने का प्रयास करें?5. Oraon समाज कब तक बाहरी प्रभावों से प्रभावित होकर अपनी पहचान को कमजोर करता रहेगा?
समाज को जागरूक करने की आवश्यकता:
ओराओं समाज के लोगों को यह समझना बेहद ज़रूरी है कि "Saonsar" शब्द का कोई वास्तविक नकारात्मक अर्थ नहीं है, बल्कि इसे एक नकारात्मक छवि देने की कोशिश की गई है।
👉 धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए Oraon समाज को संगठित होना होगा।
👉 कुड़ुख भाषा और पारंपरिक रीति-रिवाजों को संरक्षित करना होगा।
👉 युवा पीढ़ी को यह सिखाना होगा कि उनका धर्म उतना ही प्राचीन और महत्वपूर्ण है जितना कि कोई भी अन्य धर्म।
ओराओं समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को किसी भी बाहरी पहचान से कमजोर नहीं किया जा सकता। "Saonsar" शब्द को नकारात्मकता से जोड़ने की साजिश को समझना ज़रूरी है और इसे पूरी तरह से अस्वीकार करना चाहिए।
ओराओं समाज को चाहिए कि वह अपने धर्म, भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए संगठित हो और अपनी पहचान को गर्व से स्वीकार करे। जब तक Oraon समाज अपनी जड़ों से जुड़ा रहेगा, तब तक कोई भी बाहरी प्रभाव उसे कमजोर नहीं कर सकता।
🔹 हम बेधर्मी नहीं हैं!
🔹 हमारी अपनी आस्था है, जो हजारों वर्षों से चली आ रही है!
🔹 जो हमें "Saonsar" कहते हैं, उन्हें खुद अपनी सोच पर सवाल उठाना चाहिए!
ओराओं समाज को अपनी संस्कृति और पहचान को बनाए रखने के लिए संगठित होना होगा। यही सही समय है, जब हमें अपने अस्तित्व की रक्षा करनी होगी!
2 टिप्पणियाँ
Bahut hi Mahaytyapurn Jankari
जवाब देंहटाएंNice information
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