कुँड़ुख भाषा एवं कुँड़ुख-बन्ना लिपी के संवैधानिक मान्यता हेतु राष्ट्रीय जनमहारैली
"जब धर्में…!"
भारतवर्ष के सभी कुँड़ुख-भाषाविद, माता-पिता, भाई और बहनों,
विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी कुँड़ुख भाषा एवं कुँड़ुख-बन्ना लिपी को संवैधानिक मान्यता दिलाने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय जनमहारैली आयोजित की जा रही है। यह रैली 24 फरवरी 2025 (सोमवार) को राउरकेला में बिरसा मुंडा चौक से प्रारंभ होकर एडीएम कार्यालय तक पहुंचेगी, जहां राज्यपाल, राष्ट्रपति, और भारतीय भाषा विभाग, मैसूर को हमारी माँगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसके पश्चात उदितनगर फिटनेस पार्क में एक सभा का आयोजन होगा, जिसमें विभिन्न राज्यों से आए अतिथिगण संबोधित करेंगे।
कुँड़ुख भाषा का महत्व
कुँड़ुख भाषा प्राचीनतम द्रविड़ भाषा परिवार की एक महत्वपूर्ण भाषा है, जिसे उरांव जनजाति के लोग बोलते हैं। इस भाषा के बोलने वाले सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में फैले हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, कुँड़ुख उन भाषाओं में से एक है जो सबसे तेज़ी से विलुप्त हो रही हैं।
इतिहास गवाह है कि भाषा संस्कृति की नींव होती है। यदि भाषा समाप्त हो गई तो हमारी परंपराएँ, हमारी पहचान, हमारा अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। डॉ. कार्त्तिक उरांव ने भी कहा था कि "कुँड़ुख भाषा को समृद्ध बनाना आवश्यक है।"
कुँड़ुख-बन्ना लिपी: हमारी पहचान
सिंधु घाटी सभ्यता के बाद कुँड़ुख भाषा को लिखने के लिए कोई स्वतंत्र लिपि नहीं थी। लेकिन माननीय बासुदेव राम खलखो जी ने अथक परिश्रम कर 1987 में कुँड़ुख भाषा के लिए कुँड़ुख-बन्ना लिपि का आविष्कार किया। यह लिपि अत्यधिक वैज्ञानिक, सरल और सुंदर है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि "पढ़े-लिखे और लिखे-पढ़े में अंतर होता है।" इसी प्रकार, जब तक हम अपनी मातृभाषा को अपनी लिपि में नहीं अपनाएंगे, तब तक हम अपनी जड़ों से कटते रहेंगे।
महारैली के प्रमुख माँगें
1️⃣ कुँड़ुख भाषा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
2️⃣ कुँड़ुख-बन्ना लिपि को कुँड़ुख भाषा की आधिकारिक लिपि के रूप में मान्यता दी जाए।
3️⃣ जहाँ कुँड़ुख भाषियों की संख्या अधिक है, वहाँ स्कूलों में कुँड़ुख शिक्षकों की नियुक्ति की जाए।
4️⃣ विश्वविद्यालयों में कुँड़ुख भाषा का स्वतंत्र विभाग स्थापित किया जाए।
5️⃣ आदिवासी भाषाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा एक स्वतंत्र भाषा आयोग बनाया जाए।
6️⃣ झारखंड में लागू कुँड़ुख पाठ्यक्रम को पूरे देश में लागू किया जाए।
7️⃣ कुँड़ुख भाषा को सरकारी कामकाज में दफ्तरी भाषा का दर्जा दिया जाए।
आह्वान: आपकी भागीदारी आवश्यक है!
हम सभी कुँड़ुख भाषियों से अपील करते हैं कि वे लाखों की संख्या में इस महारैली में भाग लें। अपने परंपरागत वेशभूषा, पारंपरिक वाद्ययंत्र और पाड़हा झंडे के साथ इस आयोजन में शामिल होकर इस आंदोलन को सफल बनाएं।
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