सिरसी-ता नाले का इतिहास: एक कहानी | Sirsi -Ta Nale History | History of Sira Sita Nale | Kurukh Oraon Tribe Reborn Stories

 सिरसी-ता नाले का इतिहास: एक कहानी


गहरी रात का सन्नाटा था। जंगल के बीचों-बीच बहता सिरसी-ता नाले अपनी कहानी को हर उस इंसान तक पहुंचाना चाहता था, जो उसे सुनने आए। ये कहानी, जिसे ओराओं आदिवासी समाज पीढ़ियों से संजोकर रखे हुए है, धरती के विनाश और पुनः सृजन की गाथा है।

कहानी की शुरुआत

बहुत समय पहले, जब धरती पाप और अधर्म से भर गई थी, तब भगवान महादेव और माता पार्वती बहुत दुखी हो गए। माता पार्वती ने महादेव से कहा, "हे प्रभु, इस पाप से भरी पृथ्वी को खत्म कर दीजिए।

" महादेव ने आग को धरती जलाने के लिए भेजा और हनुमान को आदेश दिया, "जब आधी पृथ्वी जल जाए, तो डमरू बजा देना, ताकि आग रुक जाए।"

धरती जलने लगी। इंसान, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सब कुछ खाक हो गए। उस वक्त हनुमान एक चिरचिटी पेड़ पर बैठकर तेला फल खा रहे थे। आग ने चिरचिटी पेड़ को छुआ, तो हनुमान उड़े और जाकर डमरू बजाया। 

पर तब तक पूरी पृथ्वी जल चुकी थी। माता पार्वती यह देख घबरा गईं, "हे महादेव, आपने पूरी पृथ्वी को खत्म कर दिया। अब मानव जाति का क्या होगा?"

ककड़ोलता में जीवन का अंश :

पार्वती जी चिंतित होकर अपनी दृष्टि इधर-उधर घुमाने लगीं। तभी उनकी नजर सिरसी-ता नाले के गंगला खइड़ झुंड में छिपे दो बच्चों पर पड़ी। उनके चेहरे पर जीवन की एक छोटी सी आशा जगमगाई। उन्होंने उन बच्चों को ककड़ोलता में छिपा दिया।

जब महादेव वापस लौटे, तो पार्वती ने उनसे गुस्से में पूछा, "अब पृथ्वी पर मानव का सृजन कैसे होगा?" 

महादेव ने पार्वती को शांत किया और धरती पर उत्तर खोजने निकले। वे अपनी लिली-भुली नामक कुतिया के साथ सिरसी-ता नाले पहुंचे। कुतिया ने गंगला खइड़ की ओर सूंघते हुए भूंकना शुरू किया। महादेव ने देखा कि दो बच्चे ककड़ोलता में छिपे हुए हैं।

मानव का पुनः सृजन :

महादेव उन बच्चों को लेकर पार्वती के पास आए। दोनों ने उन्हें पाल-पोसकर बड़ा किया। इन्हीं बच्चों से मानव जाति का पुनः सृजन हुआ। तब से, सिरसी-ता नाले और ककड़ोलता को मानव उत्पत्ति स्थल माना जाने लगा।

गीतों में बसी कथा :

आज भी आदिवासी समाज गीतों में इस कहानी को संजोए हुए है:

"सिरसी-ता नाले नू... भाइया बाहिन रहचर, गुचा हरो बेद्दा गे कालोत..."

ये गीत मानव के पुनर्जन्म और सिरा-सिता नाले की महिमा का प्रतीक हैं।

ककड़ो लता की धार्मिक मान्यता :

ककड़ो लता सिर्फ एक स्थान नहीं, बल्कि आस्था का केंद्र है। यह माना जाता है कि यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। यही वह स्थान है, जहां से मानव उत्पत्ति की शुरुआत मानी जाती है।

सिरा-सिता नाले की यह कहानी आदिवासी समाज की आस्था और संस्कृति का एक अमूल्य हिस्सा है, जो हमें याद दिलाती है कि हर विनाश के बाद सृजन का एक नया दौर आता है।

लोककथा का संदेश :

यह कहानी हमें सिखाती है कि जब विनाश होता है, तो सृजन का मार्ग भी खुलता है। सिरा-सिता नाले और ककड़ोलता यह संदेश देते हैं कि प्रकृति अपना संतुलन बनाए रखती है और नई शुरुआत का अवसर देती है।

"जब अंधकार अपने चरम पर होता है, तब प्रकृति नया प्रकाश लाने की तैयारी कर रही होती है।" यही इस कहानी का सार है।

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